Wednesday, March 27, 2019



   
नेहरू छुच्छी में आग लगाकर छोड़ चुके थे ASAT, लेकिन फ्यूज़ कंडक्टर निकाल लिया था मोदी ने।
नेहरू के बाद इंदिरा गाँधी के पास भी मौका था और वो आपातकाल को लेकर इतनी भी व्यस्त नहीं थी कि एक मिसाइल की बत्ती में आग लगाने का समय न निकाल पातीं। लेकिन अगली पीढ़ी के पास भारत की घास से लेकर आकाश तक पर अपनी दादी, परनाना आदि को याद करने का मौका उन्होंने राहुल के लिए छोड़ा।
भारत ने आज एंटी सैटेलाइट के प्रक्षेपण के 3 मिनट के भीतर ही लो अर्थ ऑर्बिट में एक सैटेलाइट को मार गिराया और इसके साथ ही हमारा देश दुनिया का चौथा ऐसा देश बना है, जिसे अंतरिक्ष में मार करने वाले मिसाइल की तकनीकी हासिल है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की गई इस घोषणा से आहत नेहरू-भक्तों ने सनसनी मीडिया गिरोह सॉल्ट न्यूज़ द्वारा फैक्ट चेक करवा कर इस वायरल दुखद घटना को लेकर बड़ा खुलासा कर डाला।
सॉल्ट न्यूज़ द्वारा ट्विटर पर जनमत संग्रह आयोजित करने के बाद जो निष्कर्ष निकला है उसके अनुसार कम लोग ये बात जानते हैं कि आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू माउंटबेटेन के साथ मिलकर एंटी सैटेलाइट मिसाइल की छुच्छी में आग लगा ही रहे थे कि तब तक नरेंद्र मोदी ने उनके फ्यूज कंडक्टर (नेहरू के नहीं) निकाल लिए।
कुछ लोग यह भी कहेंगे कि मोदी तो नेहरू के समय में थे भी नहीं, लेकिन आज के लोग यह जानते हैं कि ‘मोदी है तो मुमकिन है।’ ख़ैर, मजाक अपनी जगह है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मोदी ने जिस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए श्री नेहरू जी द्वारा विश्व का प्रथम देश बनने की उपलब्धि पर फ्यूज़ कंडक्टर निकाल कर प्रहार किया, वो तकनीक भी नेहरू जी द्वारा स्थापित (फ़िलहाल गुप्त) राजीव गाँधी टेलीपोर्टेशन अनुसन्धान संस्थान की ही देन है। कॉन्ग्रेस ने इस बात पर भी अपना रोष व्यक्त किया है।
गोदी मीडिया आपको ये बात कभी नहीं बताएगी, लेकिन सत्य यह है कि जवाहरलाल नेहरू के बाद रोजाना ED ऑफिस के चक्कर काट रहे रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी की दादी इंदिरा गाँधी भी इस मिसाइल को लॉन्च करने का प्रयास करने जा रही थी। सॉल्ट न्यूज़ के सूत्रों ने बताया कि इंदिरा गाँधी ने इसलिए भी यह कार्य अपने कार्यकाल में रह जाने दिया, ताकि जब कभी भविष्य के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गाँधी मुद्दों की कमी से जूझें, तो वो झट से DRDO और ISRO के अस्तित्व का श्रेय भी गाँधी परिवार को देकर जनता को खुश कर सके। वरना आपातकाल के दौरान इंदिरा गाँधी जी इतनी भी व्यस्त नहीं थीं कि वो एक मिसाइल की बत्ती में आग लगाने का समय न निकाल पातीं।
भक्त मंडली 55 साल बाद #MissionShakti का श्रेय उन्हें दे रही है।
आज की उपलब्धियों का श्रेय नेहरूजी को, तो #कश्मीर में सेना और निर्दोष लोगों के मारे जाने, चीन के विस्तारवाद और सुरक्षा परिषद में मसूद के बच निकलने के ज़िम्मेदार नेहरू जी क्यों नहीं ?

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