Tuesday, March 26, 2019

समस्या ये नहीं की किसी ने कहा आय 72000 सालाना कर देंगे। समस्या ये है की किसी ने "मुफ्त" कहा और हम इस इंतज़ार में बैठ गए की चलो साल में टोटल 72000 मिलेंगे। जहाँ देश की कुछ परसेंट आबादी 500 रूपये में अपना वोट बेच देती हैं वो ये कैसे सोच लेगी की गरीबी बरसो से चली आ रही है और हर बार ये गरीबी हटाओ का नारा देकर सत्ता में आते हैं और फिर खुद अपनी जेब भर लेते हैं। एक गरीब आदमी जो आखिरी छोर पे बैठा है वो बाकी चीज़े नहीं सोचता वो तो बस अपना फायदा देखता है जो की हर इंसान देखता है।

आज के समय में गांवों में रहने वाले भूमिहीन और गरीब लोग मनरेगा के तहत भुगतान पाते हैं। तत्कालीन सरकार के द्वारा मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी को 42 प्रतिशत बढ़ाया गया है जिससे अधिकतर औद्योगिक कामगारों को 12000 रूपये प्रतिमाह से अधिक का वेतन मिलता है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद सरकारी नौकरियों में वेतन की सबसे निचली सीमा 18000 रूपये प्रतिमाह है। गरीबों की अगर इतनी चिंता है तो वे अपने शाषित राज्यों में पीएम किसान योजना और आयुष्मान भारत योजना क्यों नहीं लागू करवाया अभी तक। जबकि इन योजनाओं से गरीबों, किसानो को सीधे सीधे फायदा मिलता। लेकिन यहाँ मुद्दा गरीबी हटाना नहीं है बल्कि किसी भी तरह सत्ता हथियाना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बीते पांच सालों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण(सीधे खाते में पैसा) की बैंकों के जरिए शुरूआत की। कई लोग खुश हैं की सब्सिडी का पैसा सीधा बैंक खाते में आ रहा है। आयुष्मान भारत योजना, उवर्रक सब्सिडी, खाद्यान्न सब्सिडी, और 55 मंत्रालयों द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग 5.34 लाख करोड़ रूपये की सब्सिडी/फायदा जरुरतमंदो को पहुँचाया जा रहा है। लेकिन यहाँ तो ज्ञानी इतने हैं की गैस की पूरी कीमत बतायेंगे लेकिन ये नहीं बतायेंगे की सब्सिडी में खाते में हीं लौट के आ रही है। राहुल जी ने ये नहीं बताया की जो ये मुफ्त के पैसे देने के लिये बोल रहे हैं उसका बोझ देश का कौन सा वर्ग सहन करेगा। ये नहीं बताया की हम देश को मुफ्तखोरी की आदत दिलाकर देश की अर्थव्यबस्था को कमज़ोर और गृहयुद्ध जैसे माहौल क्यूँ तैयार कराना चाहते हैं जैसा की हम अभी बेनेजुएला में देख रहे हैं।

बर्तमान सरकार के द्वारा चलायी जा रही योजनाओं से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से अभी प्रति परिवार Rs.1,06,800 प्रति वर्ष बैठता है जबकि कांग्रेस की घोषणा 72 हजार रूपये प्रतिवर्ष की है। अगर कांग्रेस को गरीबी हटानी होती वो बरसों पहले हटा देतें या हटाने की कोशिश करते लेकिन इन्होने गरीबी हटाई तो दामाद जी की। इनको खुद के जेब भरने से फुरसत होती तब ना देश की चिंता करते। इनकी अभी भी यही मंशा है की गद्दी किसी तरह से मिल जाये और देश को खोखला करना शुरू कर दें।

बाकी आप भी समझदार हैं। कोशिश ये कीजिये की कोई ऐसा बंदा मिले तो उसे बर्तमान सरकार के द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के फायदे बतायें। जिनको जानकारी नहीं है उनको इन योजनाओं के बारें में बताईये और इन योजनाओं में एनरोल करवाने में मदद कीजिये। मोदी अकेला कितना करेगा कुछ हम भी तो सहयोग कर लें।
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