Thursday, March 28, 2019

कॉन्ग्रेस कर रही थी भारत पर अंतरराष्ट्रीय हमले का इंतज़ार, US ने कहा ‘हम भारत के साथ हैं’

कॉन्ग्रेस की उम्मीदों को तब झटका लगा जब अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने #मिशन_शक्ति पर आधिकारिक रूप से भारत के साथ खड़े होने की बात की। कॉन्ग्रेस के लिए यह पचाना मुश्किल होगा कि मोदी की विदेश नीति राष्ट्रहित में फलित हो रही है।

लगातार अपने अस्तित्व की लड़ाई से जूझ रही कॉन्ग्रेस हर दिन कुछ ऐसा कर जाती है जिससे उसके कुर्सी प्रेम और देश प्रेम में बढ़ते अंतर को देश की जनता देख ही लेती है। कल जब प्रधानमंत्री मोदी ने देश को बताया कि भारत ने स्वदेशी तकनीक से निर्मित एंटी सेटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण करते हुए मिशन शक्ति में सफलता पाई है, तो कॉन्ग्रेस के मनीष तिवारी की प्रतिक्रिया देखने लायक थी।

कॉन्ग्रेस के तिवारी के अनुसार यह एक उपलब्धि नहीं, उन्माद है, “जब यह उन्माद थम जाएगा तब हमें अंतरराष्ट्रीय समाज कुछ कड़े सवाल पूछेगा। आशा है कि हम एक राष्ट्र के तौर पर उनका जवाब देने में सक्षम होंगे।” यह उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा। साथ ही, तिवारी जी ने फ़रवरी 2007 से स्पेस डॉट कॉम नामक पोर्टल की एक ख़बर लगा रखी थी जिसमें चीन द्वारा इसी तरह के परीक्षण पर सवाल किए गए थे।

मतलब साफ है कि कॉन्ग्रेस मना रही थी कि भारत की छवि विदेशी राष्ट्रों के बीच नकारात्मक बने और फिर वो अपने पुराने हथकंडे अपनाते हुए मोदी के विदेशी दौरों से लेकर राष्ट्राध्यक्षों से निजी तौर पर बेहतर संबंध रखने की बातों का उपहास कर सकें। वस्तुतः, कॉन्ग्रेस के दिल की यह बात अभी भी दिल में ही होगी, और वो इंतजार कर रहे होंगे कि कब कोई भी देश इस बात की निंदा करे।

हालाँकि, ऐसा होने की उम्मीद बहुत कम है क्योंकि भारत को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में कभी भी युद्ध या अशांति के माहौल पर कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है। पीएम मोदी ने भी यह बात साफ कर दी थी कि इसका उपयोग क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए नहीं होगा।

कॉन्ग्रेस और तिवारी की उम्मीदों को तब झटका लगा जब आज सुबह अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट में मिशन शक्ति पर आधिकारिक रूप से भारत के साथ खड़े होने की बात की और कहा, “हमने एंटी सेटेलाइट सिस्टम के परीक्षण पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को देखा। भारत के साथ अपने मजबूत सामरिक साझेदारी के मद्देनज़र, हम अंतरिक्ष, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्रों में सहयोग सहित, अतंरिक्ष सुरक्षा में सहभागिता के साझा हितों पर लगातार साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

जब अमेरिका इन मुद्दों पर अपनी राय किसी देश के साथ रखता है, इसका मतलब यह होता है कि बाती देशों को भी इससे समस्या नहीं होती। यूँ तो चीन ने भी इस पर समझदारी भरी बात कही है और बयान देने के लिए ही बयान दिया है जो कि एक टैम्पलेट टाइप का बयान है जहाँ हर राष्ट्र इस तकनीक और शांति की बात करता दिखता है।

कॉन्ग्रेस के लिए यह पचाना मुश्किल होगा कि जिस मोदी को वो विदेश नीति के लिए घेरने की मंशा बना रहे था, उसकी विदेश नीति राष्ट्रहित में फलित हो रही है।

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